भारत में मिठाई का खास स्थान है, विशेष रूप से त्योहारों के मौसम में। लेकिन अगर आप मीठे के शौकीन हैं, तो यह पढ़ना आपके लिए जरूरी है। हालिया अध्ययन में यह पाया गया है कि अधिक मिठाई का सेवन करने वाले लोगों में अवसाद, डायबिटीज और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है। इसलिए, अगर आपको मीठे का अत्यधिक सेवन करने की आदत है, तो सतर्क रहना चाहिए।
अध्ययन का संक्षिप्त विवरण
यूनिवर्सिटी ऑफ सुरे के शोधकर्ताओं ने 1.80 लाख लोगों के खान-पान का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में तीन समूह बनाए गए:
- स्वस्थ आहार वाले: जो हरी सब्जियाँ और ताजे फल अधिक खाते थे, लेकिन मीठी चीजें और एनिमल प्रोडक्ट्स कम।
- सामान्य आहार वाले: जो सभी प्रकार की खाद्य वस्तुओं का सेवन करते थे, जैसे मछली, मांस, सब्जियाँ और मिठाइयाँ।
- मीठा खाने वाले: जो फल और सब्जियाँ कम खाते थे लेकिन मीठे सामान और ड्रिंक्स का अधिक सेवन करते थे।
शोधकर्ताओं ने 2923 प्रोटीन और 168 मेटाबोलिक पैरामीटर का अध्ययन किया, जो हमारे शरीर में विभिन्न प्रक्रियाओं को समझने में मदद करते हैं।
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मीठा खाने से अवसाद का जोखिम
विश्लेषण के परिणामों से पता चला कि जो लोग मीठी चीजें अधिक पसंद करते थे, उनमें अवसाद का खतरा 31 प्रतिशत अधिक था। इसके साथ ही, उन्हें डायबिटीज और दिल की बीमारियों का भी अधिक खतरा था। इन लोगों के खून में सी-रिएक्टिव प्रोटीन का स्तर भी अधिक पाया गया, जो सूजन का संकेत है।
स्वस्थ आहार के लाभ
शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों ने फल और सब्जियाँ अधिक खाईं, उनमें हार्ट फेल्योर, स्ट्रोक, या अन्य क्रोनिक डिजीज का जोखिम बहुत कम था। ऐसे लोग जिनका आहार संतुलित था, वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ थे।
निष्कर्ष
प्रोफेसर गिफमान के अनुसार, आजकल प्रोसेस्ड शुगर का सेवन बढ़ गया है। ऐसे में हमें यह समझना जरूरी है कि मिठाई खाने से पहले हमें इसके संभावित दुष्प्रभावों के बारे में सोचना चाहिए। मिठाई का अधिक सेवन न केवल आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
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