आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति अपने में इतना व्यस्त है कि किसी के पास एक-दूसरे के साथ भावनाएं साझा करने का समय नहीं है। लोग अपने दैनिक जीवन में रोबोट की तरह जीने लगे हैं, जहां न तो खुलकर हंसना है और न ही किसी के साथ अपनी चिंता या खुशी बांटने का समय। यह न केवल अकेलेपन को बढ़ा रहा है, बल्कि गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी बढ़ा रहा है, जिसका असर घर और ऑफिस दोनों में देखा जा रहा है।
अकेलापन और गुस्सा: आंकड़े बताते हैं
गैलप (Gallup) का इमोशनल सर्वे हर साल दुनिया भर में लोगों के भावनात्मक स्वास्थ्य पर रिपोर्ट जारी करता है। वर्ष 2023 की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 54% लोग अकेलेपन और डिप्रेशन का अनुभव कर रहे हैं। इससे पहले, 2021 की रिपोर्ट में 23% लोगों ने गंभीर गुस्से का अनुभव किया था। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
तनाव और कॉन्फ्लिक्ट का उत्पत्ति
गुस्सा अक्सर तनाव का कारण बनता है, जो बाद में बड़े कॉन्फ्लिक्ट का रूप ले लेता है। यह तनाव घर में परिवार के सदस्यों के साथ बहस और ऑफिस में सहकर्मियों या बॉस के साथ मतभेद का कारण बनता है। ये कॉन्फ्लिक्ट न केवल आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, बल्कि आपके करियर और पारिवारिक जीवन पर भी बुरा असर डाल सकते हैं।
कॉन्फ्लिक्ट के प्रभाव:
- यदि आप किसी परिवार के सदस्य से बहस करते हैं, तो यह आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकता है।
- यह आपके काम और पारिवारिक जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- ऑफिस जाने के बाद भी, यदि आप तनाव में हैं, तो आप अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे।
केन सैंड का दृष्टिकोण
केन सैंड, अमेरिका के जाने-माने लाइफ कोच और कॉन्फ्लिक्ट एक्सपर्ट, ने इस क्षेत्र में करीब 40 वर्षों का अनुभव हासिल किया है। उनकी किताब ‘रिजॉल्विंग एवरीडे कॉन्फ्लिक्ट’ में उन्होंने कॉन्फ्लिक्ट के खतरे और उन्हें सुलझाने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की है।
कॉन्फ्लिक्ट क्यों होता है?
केन सैंड के अनुसार, कॉन्फ्लिक्ट का मुख्य कारण इगो या अहम का टकराव होता है। अक्सर विवाद उस मुद्दे पर होता है जो वास्तविकता में महत्वपूर्ण नहीं होता, लेकिन इसे बड़ा बना दिया जाता है। इसलिए, कॉन्फ्लिक्ट को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सवाल खुद से पूछने चाहिए:
- क्या यह मुद्दा वास्तव में इतना बड़ा है?
- क्या मैं अपनी भावनाओं को सही ढंग से व्यक्त कर रहा हूँ?
- क्या मैं सामने वाले की भावनाओं को समझने का प्रयास कर रहा हूँ?
कॉन्फ्लिक्ट को कैसे सुलझाएं?
कॉन्फ्लिक्ट को सुलझाने के लिए केन सैंड ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
- सीधे संवाद करें:
- सीधे उस व्यक्ति से बात करें जिससे समस्या है। यह सीधे संवाद आपके मनमुटाव को कम करने में मदद करेगा।
- उदाहरण के लिए, यदि आपके सहकर्मी ने आपको किसी काम में सही तरीके से गाइड नहीं किया, तो इसके बारे में सीधे उनसे बात करें।
- सही समय का चुनाव करें:
- बातचीत के लिए उपयुक्त समय का चयन करें।
- जैसे कि, जब दूसरा व्यक्ति तनाव में या व्यस्त न हो। शांत माहौल में चर्चा करना बेहतर होता है।
- पहले से करें प्लानिंग:
- सोच-समझकर अपनी बात कहें कि आपको क्या कहना है।
- अपनी समस्याओं को स्पष्ट रूप से पेश करें और बताएं कि इससे आप पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
- दोषारोपण करने से बचें:
- दूसरे व्यक्ति को दोष देने से बचें।
- बजाय इसके, अपनी भावनाओं को साझा करें। जैसे कि “मैं इस बारे में चिंतित हूँ” बजाय “आपने ऐसा किया”।
- मुद्दे पर बात करें:
- व्यक्तिगत हमलों से बचें और मुद्दे पर केंद्रित रहें।
- सामने वाले को अपने विचार रखने का पूरा अवसर दें।
- दिखाएं कि आप सुन रहे हैं:
- अगर आप सहमत नहीं हैं, तो भी यह दिखाएं कि आप उनकी बात सुन रहे हैं।
- कहें कि “मैं समझता हूँ कि आप ऐसा क्यों सोचते हैं”।
- अधूरी बात न करें:
- बातचीत के दौरान सभी मुद्दों और भावनाओं को खुलकर सामने लाएं।
- कठिन मुद्दों पर भी चर्चा करें, क्योंकि इससे समाधान के रास्ते खुलते हैं।
- समाधान पर काम करें:
- जब आप समाधान पर पहुंच जाएं, तो उस पर कार्य करना शुरू करें।
- जो बदलाव करने का वादा किया है, उसे निभाना सुनिश्चित करें।
निष्कर्ष
कॉन्फ्लिक्ट को सुलझाना जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। केन सैंड के सुझावों का पालन करके आप अपने रिश्तों में सुधार कर सकते हैं और तनाव को कम कर सकते हैं। अपने मन की बातों को साझा करने में संकोच न करें, क्योंकि स्वस्थ रिश्ते एक खुशहाल जीवन के लिए जरूरी हैं।
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