Sharda Sinha Death News :- बिहार की प्रतिष्ठित फोक सिंगर, शारदा सिन्हा, जिनकी आवाज ने न केवल छठ पूजा के गीतों को एक नई पहचान दी, बल्कि उनके गीतों में एक विशेष भावनात्मक जुड़ाव था, अब हमारे बीच नहीं रहीं। लंबे समय से कैंसर से जूझ रही शारदा सिन्हा ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी मौत से न सिर्फ संगीत जगत, बल्कि बिहार और भारत के लाखों फैंस के दिलों में शोक की लहर दौड़ गई है।
कैंसर से जूझते हुए अंतिम समय में वेंटिलेटर पर थीं शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा की हालत हाल के दिनों में गंभीर हो गई थी। उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने 5 नवंबर को सोशल मीडिया पर अपनी मां के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शारदा सिन्हा को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था और डॉक्टर्स उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए थे। अंशुमन ने फैंस से अपील की थी कि वे उनकी मां के लिए प्रार्थना करें। शारदा सिन्हा के निधन से पहले, अंशुमन ने उम्मीद जताई थी कि उनकी मां जल्द ठीक हो जाएंगी, लेकिन स्थिति बिगड़ने के बाद यह दुखद घटना घटित हुई।
शारदा सिन्हा का संगीत और उनका योगदान
शारदा सिन्हा का नाम उन गायिकाओं में शुमार है जिन्होंने भोजपुरी और मैथिली लोक संगीत को एक नई पहचान दी। उनका गाया छठ पूजा के गीत “नहाय-खाय” अब हर घर में गूंजता है, और हर साल छठ महापर्व के दौरान ये गीत सुनने का एक अलग ही अनुभव होता है।
उनका संगीत न केवल छठ पूजा की शान बढ़ाता था, बल्कि भारतीय सिनेमा और संगीत के क्षेत्र में भी उनका योगदान अतुलनीय है। सलमान खान की फिल्म “मैंने प्यार किया” में भी शारदा सिन्हा ने अपनी आवाज दी थी, जो संगीत प्रेमियों के बीच अब भी याद किया जाता है।
कैंसर से संघर्ष और उनकी व्यक्तिगत यात्रा
शारदा सिन्हा का कैंसर से संघर्ष एक प्रेरणा है। उन्होंने 2017 में मल्टिपल माइलोमा (ब्लड कैंसर) का सामना करना शुरू किया था, लेकिन उन्होंने कभी अपनी बीमारी के बारे में ज्यादा बात नहीं की। अंशुमन सिन्हा के अनुसार, उनकी मां को अपनी व्यक्तिगत कठिनाइयों को सार्वजनिक करना पसंद नहीं था। वे हमेशा अपने काम में व्यस्त रहतीं और कभी भी अपनी पीड़ा को दूसरों से साझा नहीं करतीं।
उनके बेटे ने बताया कि उनके पिता के निधन के बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी। पिताजी के निधन के शोक ने शारदा सिन्हा के मनोबल को तोड़ दिया था, और इस घटना के बाद उनकी सेहत में तेजी से गिरावट आई।
सम्मान और श्रद्धांजलि: पद्म श्री और पद्म भूषण से नवाजी गईं
शारदा सिन्हा को भारतीय संगीत जगत में उनके योगदान के लिए कई सम्मान मिले। 1991 में उन्हें ‘पद्म श्री’ और 2018 में ‘पद्म भूषण’ से नवाजा गया। उनका संगीत आज भी बिहार और आसपास के क्षेत्रों में गूंजता है। उनकी आवाज के बिना छठ पूजा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उनकी गायकी ने हमेशा सुनने वालों को भावविभोर किया और घर से दूर रहने वाले लोगों को उनके घर लौटने की प्रेरणा दी।
संगीत और प्रेम में समर्पण: शारदा सिन्हा की विरासत
शारदा सिन्हा का निधन भारतीय संगीत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी आवाज, उनके गीतों और उनके संघर्ष की कहानी हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगी। उनके द्वारा गाए गए गीतों की गूंज हमेशा हमें उनके बारे में याद दिलाती रहेगी।
हमारी श्रद्धांजलि
हम शारदा सिन्हा के परिवार और चाहने वालों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। उनकी संगीत यात्रा और संघर्ष को हम कभी नहीं भूलेंगे। उनका योगदान संगीत और संस्कृति के क्षेत्र में अमूल्य रहेगा, और उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में बनी रहेंगी।
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