इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि हमारे संस्कृति में महत्वपूर्ण धार्मिक मान्यताएँ भी समेटे हुए है। इस दिन का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि यह चंद्रमा के अद्भुत दर्शन का भी अवसर है।
शरद पूर्णिमा का खास महत्व
इस साल की शरद पूर्णिमा अन्य पूर्णिमाओं की तुलना में अधिक खास है। इस दिन सुपरमून का अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा, जो सामान्य चाँद से बड़ा और अधिक चमकदार होगा। पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को सुबह 8:40 बजे शुरू होगी और अगले दिन 4:55 बजे समाप्त होगी। इसके अलावा, विदेशों में भी कई स्थानों पर 17 अक्टूबर को हंटर मून का नजारा देखने को मिल सकता है।
चाँद की इस रात में, चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं के साथ प्रकट होता है, जिससे यह रात खास बन जाती है। चाँद की रोशनी में खीर बनाने की परंपरा भी इसी दिन से जुड़ी है, जिससे इसके विशेष महत्व को और बढ़ाया जाता है।
खीर बनाने की परंपरा
शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कहा जाता है कि इस रात चाँद की रोशनी में अमृत बरसता है। इसलिए, भक्तजन चाँद की रोशनी में खीर तैयार करते हैं। शरद पूर्णिमा की खीर दूध, चावल, सूखे मेवे और केसर से बनाई जाती है, जो न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इस खीर में चंद्रमा के औषधीय गुण भी समाहित होते हैं, जो इसे खास बनाते हैं।
खीर का सेवन
इस दिन खीर को चाँद की रोशनी में रखकर उसका सेवन करना चाहिए। यह परंपरा न केवल स्वास्थ्य को लाभ पहुँचाती है, बल्कि मन को भी शांति देती है।
मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व
शरद पूर्णिमा की रात, मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और सुख-समृद्धि का संचार होता है।
पूजा विधि
- महालक्ष्मी की पूजा: पूजा में कमल के गट्टे की माला से लक्ष्मी मंत्र का जप करना चाहिए
मंत्र: “ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नमः।”
- जागरण: रात में जागकर मां लक्ष्मी का जागरण करना भी आवश्यक है।
इस शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए खीर बनाना और उनकी पूजा करना न भूलें। इस पर्व के दौरान चाँद की रोशनी में खीर का सेवन आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाएगा।
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