नवरात्रि के पावन पर्व पर माता दुर्गा के विभिन्न मंदिरों के दर्शन करना हर भक्त की इच्छा होती है। इसी संदर्भ में, सप्तशृंगी देवी मंदिर एक ऐसा अद्भुत स्थल है, जो महाराष्ट्र के नासिक में 4800 फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यहां तक पहुँचने के लिए 472 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। चलिए, जानते हैं इस मंदिर के बारे में कुछ खास बातें।
नवरात्रि में महिषासुर का वध
नवरात्रि के दौरान, भक्त माता दुर्गा के अनेक रूपों का दर्शन करने के लिए विभिन्न मंदिरों में जाते हैं। हर मंदिर की अपनी एक अद्भुत कहानी और महत्व है। सप्तशृंगी देवी मंदिर उन प्राचीन मंदिरों में से एक है, जहाँ माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस लेख में हम इस मंदिर के अनूठे पहलुओं के बारे में चर्चा करेंगे।
नासिक में सप्तशृंगी देवी का मंदिर
सप्तश्रृंग पर्वत महाराष्ट्र में स्थित है, जिसकी ऊँचाई 4800 फुट है। इस पर्वत पर माँ भवानी का एक अद्भुत मंदिर है, जिसे सप्तशृंगी देवी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर नासिक से 65 किलोमीटर दूर वणी गांव में स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, 108 शक्तिपीठों में से तीन शक्तिपीठ महाराष्ट्र में हैं। सप्तशृंगी देवी को अर्धशक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। भक्तों को यहाँ दर्शन के लिए 472 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जो यह दर्शाती हैं कि सच्चे श्रद्धालु ही इस स्थान तक पहुँच सकते हैं।
माँ भगवती के बदलते चेहरे के भाव
इस मंदिर में स्थित माँ भगवती के बारे में कहा जाता है कि वह समय-समय पर अपने चेहरे के भाव बदलती हैं। चैत्र नवरात्रि में वह प्रसन्न मुद्रा में दिखती हैं, जबकि अश्विन नवरात्रि में उनकी गंभीर मुद्रा दर्शकों को आकर्षित करती है। भक्तों का मानना है कि अश्विन नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा विशेष रूप से पापियों का संहार करने के लिए धरती पर विभिन्न रूपों में आती हैं।
सात पर्वतों से घिरा देवी का मंदिर
सप्तश्रृंग पर्वत पर स्थित यह मंदिर सात पर्वतों से घिरा हुआ है, इसलिए इसे सप्तशृंगी देवी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इन पर्वतों पर होने वाली गतिविधियों पर माता की नजर रहती है। मंदिर में 108 पानी के कुंड भी हैं, जो यहाँ के दिव्य वातावरण को और बढ़ाते हैं।
महिषासुर का पूजा स्थान
यहाँ महिषासुर की पूजा भी होती है। मंदिर की सीढ़ियों के बाई तरफ महिषासुर का एक छोटा सा मंदिर है, जहाँ भक्त महिषासुर के दर्शन करते हैं। इस स्थान पर माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, और यहाँ महिषासुर के कटे सिर की पूजा होती है। कहा जाता है कि माँ ने महिषासुर का वध त्रिशूल से किया था, जिससे पहाड़ी पर एक बड़ा छेद बन गया था, जिसे आज भी देखा जा सकता है।
सप्तशृंगी देवी का मंदिर कैसे पहुँचें
अगर आप 472 सीढ़ियाँ चढ़ने की हिम्मत रखते हैं, तो आप सप्तशृंगी देवी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। नासिक से यह मंदिर 60 किलोमीटर दूर है, और नजदीकी रेलवे स्टेशन नासिक है। आप नासिक से कैब, टैक्सी या निजी वाहन से यहाँ पहुँच सकते हैं, लेकिन पहाड़ी पर चढ़ाई आपको पैदल ही करनी होगी।
सप्तशृंगी देवी मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता भी मंत्रमुग्ध कर देती है। यदि आप नवरात्रि के दौरान अद्भुत अनुभव की तलाश में हैं, तो इस मंदिर का दौरा करना न भूलें। तो, अपनी यात्रा की योजना बनाएं और माँ दुर्गा के दर्शन का लाभ उठाएं!
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