रीवा जिले के जवा तहसील स्थित गोहटा गांव में स्थित यह अद्वितीय शिवलिंग न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पौराणिक कहानियों का भी गवाह है। यह शिवलिंग हजारों अन्य शिवलिंगों से मिलकर बना है, और इसका महत्व त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है। यह स्थल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है, जहां श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।
पौराणिक कथा का महत्व
इतिहासकार असद खान के अनुसार, यह शिवलिंग पौराणिक और पुरातात्त्विक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि जब भगवान राम ने माता सीता को परित्याग किया, तब उन्होंने गोहटा गांव में विश्राम किया। माता सीता, जो कि उस समय वाल्मीकि आश्रम जाने की तैयारी में थीं, ने यहां तमसा नदी में स्नान किया और भगवान शिव की आराधना की।
माता सीता की आराधना
माता सीता ने भगवान शिव से अपने दुखों का वर्णन करते हुए कहा कि उनका परित्याग होने के कारण उनकी पूजा भी खंडित हो गई है। इस पर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें आश्वासन दिया कि उनका चरित्र और पतिव्रत धर्म ही उनकी पूजा का साक्षी है। भगवान शिव ने माता सीता को हजारों शिवलिंग दिखाए और कहा कि वे इन्हें एक स्थान पर स्थापित करें। माता सीता ने उसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की, जिसके बाद वे वाल्मीकि आश्रम चली गईं।
लक्ष्मण जी की भक्ति
शिवलिंग के पीछे का एक और दिलचस्प इतिहास यह है कि लक्ष्मण जी ने भी इस स्थान पर भगवान शिव की आराधना की थी। राम दीन, जो कि पिछले 21 वर्षों से इस मंदिर के पुजारी हैं, बताते हैं कि लक्ष्मण जी ने अपने भाभी माता सीता को जंगल में छोड़ने के अपराधबोध से ग्रस्त होकर भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव ने लक्ष्मण जी को सांत्वना दी और समझाया कि उनकी पूजा कभी भी खंडित नहीं हो सकती।
धार्मिक उत्सव और मेले
हर साल सावन के महीने में यहां एक विशाल मेला आयोजित होता है। इस अवसर पर भक्त बड़ी संख्या में कांवड़ यात्रा निकालते हैं और इस अद्वितीय शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। यह धार्मिक स्थल न केवल अपनी पौराणिकता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि भक्तों की गहरी आस्था का केंद्र भी बन गया है।
भक्तों की संख्या
इस मेले में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जो भगवान शिव की आराधना करते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि यहां की पूजा और दर्शन से उन्हें मानसिक शांति और समर्पण मिलता है।
कैसे पहुंचे गोहटा
गोहटा गांव पहुंचने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं। रीवा शहर से यह गांव केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आप निजी वाहन या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर सकते हैं। सड़क मार्ग से यात्रा करना सबसे सुविधाजनक होता है।
आपकी यात्रा का समय
यदि आप यहां आना चाहते हैं, तो सावन के महीने में आने की योजना बनाएं, जब मेले का आयोजन होता है। इस दौरान, आप यहां भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं और इस अद्वितीय शिवलिंग की भक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
गोहटा गांव का यह अद्वितीय शिवलिंग और इसका पौराणिक इतिहास न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है। यदि आप भगवान शिव के प्रति अपनी आस्था को और भी गहरा करना चाहते हैं, तो इस अद्वितीय स्थान की यात्रा अवश्य करें।
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