प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19वें ईस्ट एशिया सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि “समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं आ सकता।” इस सम्मेलन में उन्होंने एक मुक्त, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के महत्व पर जोर दिया, जो पूरे क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक है। यह संदेश न केवल भारत की कूटनीतिक नीति को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी एक स्पष्ट दिशा दिखाता है।
आसियान सम्मेलन में पीएम मोदी का लाओस दौरा
प्रधानमंत्री मोदी वर्तमान में आसियान सम्मेलन में भाग लेने के लिए लाओस में हैं, जहाँ उनका दौरा दूसरे दिन में है। वियनतियाने में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के साथ ही ईस्ट एशिया सम्मेलन का आयोजन भी हो रहा है। इस अवसर पर, उन्होंने तूफान टाइफून यागी में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की और वैश्विक संघर्षों के कारण ग्लोबल साउथ पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों की चर्चा की।
शांति का संदेश: युद्ध नहीं, संवाद
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं आ सकता।” उन्होंने जोर देकर कहा कि “दक्षिण चीन सागर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हित में है।” इस प्रकार, उन्होंने एक संवादात्मक और कूटनीतिक दृष्टिकोण को प्राथमिकता देने की बात कही, जिसमें संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान आवश्यक है।
संघर्षों का ग्लोबल साउथ पर प्रभाव
पीएम मोदी ने कहा कि “दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्षों का ग्लोबल साउथ के देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।” उनका मानना है कि यूरेशिया और पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि “हर कोई चाहता है कि शांति और स्थिरता जल्द से जल्द बहाल होनी चाहिए।”
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का आह्वान
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आतंकवाद को वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि “इसका सामना करने के लिए मानवता में विश्वास रखने वाली ताकतों को एकजुट होकर काम करना होगा।” यह बयान यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष और पश्चिम एशिया में इस्राइल-हमास युद्ध के संदर्भ में आया है।
भारत का समर्थन और आसियान की केंद्रीयता
पीएम मोदी ने आसियान की एकता और केंद्रीयता का समर्थन करते हुए कहा, “भारत ने हमेशा आसियान की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है।” उन्होंने कहा कि आसियान भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग के केंद्र में है। एक स्वतंत्र और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए भारत की प्रतिबद्धता स्पष्ट है।
म्यांमार का मुद्दा
पीएम मोदी ने म्यांमार की स्थिति पर भी ध्यान दिया और आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि “हम पांच सूत्री सहमति का समर्थन करते हैं।” भारत का मानना है कि म्यांमार को अलग-थलग नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उसकी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
निष्कर्ष: एक साथ आगे बढ़ने का समय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संदेश एक स्पष्ट दिशा दिखाता है कि हमें युद्ध के बजाय संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनके इस दृष्टिकोण से न केवल भारत की वैश्विक भूमिका में मजबूती आएगी, बल्कि एशियाई देशों के बीच सहयोग और स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।
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