कोरबा: कोरबा जिले के एक परिवार के लिए शारदीय नवरात्र पर्व एक विशेष अर्थ लेकर आया, जब उनकी बिछड़ी हुई बेटी अचानक उनके पास लौट आई। यह घटना न केवल परिवार के लिए खुशी का कारण बनी, बल्कि पूरे गांव में चर्चा का विषय भी बन गई।
एक साल की लंबी खोज
एक साल से जिस बेटी की तलाश की जा रही थी, उसे अचानक गांव के खिलौने वाले ने एक पूजा पंडाल में देखा। खिलौने वाले ने तुरंत मामले की जानकारी लड़की के परिवार को दी, और परिवार के सदस्य उसे लेने के लिए कोरबा पहुंचे। एक साल बाद परिवार से मिलकर लड़की खुशी से झूम उठी।
धंवईपुर का रहस्य
यह घटना विकासखंड पाली के घने जंगलों के बीच स्थित गांव धंवईपुर की है। अगस्त 2023 में, 26 वर्षीय मूक-बधिर लड़की राशन का सामान लेने घर से निकली थी और फिर कभी वापस नहीं लौटी। वह एक रात पुलिस को मिली थी, जो डायल 112 के तहत आई थी। पुलिस ने लड़की को घंटाघर के पास सेवा आश्रम में रखवा दिया। तब से वह वहीं रह रही थी।
नवरात्र उत्सव में अद्भुत संयोग
हाल ही में, आश्रम की संचालन समिति ने दुर्गा उत्सव के दौरान निहारिका क्षेत्र में एक पूजा पंडाल में लड़की को ले जाने का फैसला किया। पंडाल में पूजा देखने आए लोगों पर खिलौने वाले की नजर पड़ी। उसने तुरंत पहचाना कि वह लड़की शिवकुमारी है। हालांकि, शिवकुमारी अपनी बात नहीं कह पा रही थी। गांव वालों को देखकर उसने हल्की मुस्कान दी, लेकिन अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर सकी। खिलौने वाले ने आगे पूछताछ की और पता चला कि शिवकुमारी उस सेवा आश्रम में रह रही है।
परिवार की खुशी
जैसे ही परिवार को शिवकुमारी के बारे में पता चला, वे उसे लेने के लिए आश्रम पहुंचे। उसकी मां, नाना, और नानी ने उसे देखा, और पहचानने में देर न लगी। शिवकुमारी ने उन्हें देख कर तुरंत गले लगा लिया। आश्रम के सदस्यों ने जब परिवार से जानकारी ली तो पता चला कि वह राशन का सामान लेने निकली थी और फिर खो गई। परिवार ने कई महीनों तक धंवईपुर के आसपास खोजबीन की, लेकिन उनका मानना था कि वह शायद लौट नहीं पाएगी।
नया नाम, नई पहचान
चूंकि शिवकुमारी बोलने में असमर्थ थी, इसलिए आश्रम की संचालन समिति ने उसे “मिली“ नाम दिया था। इसी नाम से वह आश्रम में जानी जाती थी। हाल ही में, संचालन समिति को पता चला कि मिली का असली नाम शिवकुमारी है, जो पाली के धंवईपुर की निवासी है।
पुलिस की तत्परता
गौरतलब है कि लड़की घर से निकलने के बाद रास्ता भटक गई थी। वह पाली पहुंची, जहां से वह किसी बस में सवार होकर कटघोरा के रास्ते दर्री आई थी। एक रात को जब वह घूम रही थी, तब रास्ते से गुजर रहे एक व्यक्ति ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची डायल 112 की गाड़ी ने लड़की को अपने साथ लिया और उसे सेवा आश्रम में रखा, जो छत्तीसगढ़ वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित है।
परिवार की भावनाएँ
संस्थान में शिवकुमारी का व्यवहार सरल और मिलनसार था। जैसे ही परिवार को उसकी उपस्थिति का पता चला, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां के साथ उसके नाना-नानी भी आए, जो उम्र के इस पड़ाव पर चलने में कठिनाई महसूस करते हैं। लेकिन नतनी की वापसी की खबर ने उन्हें भी कोरबा की ओर खींच लाया। बेटी को देखकर परिवार की आंखों में आंसू आ गए, और यह क्षण उनकी खुशी का सच्चा प्रतीक बन गया।
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