दशहरा और नवरात्र का पर्व इस वर्ष एक ही दिन, यानी 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पंडित अनिल शर्मा के अनुसार, नवरात्र की नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12:07 बजे से आरंभ होगी और यह 12 अक्टूबर को सुबह 10:59 बजे तक रहेगी। इस दिन शस्त्र पूजन और रावण दहन का विशेष आयोजन भी होगा।
नवरात्र का महत्व और विशेष योग
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। इस बार नवरात्र के दौरान कई अद्वितीय योग बन रहे हैं। पंडित शर्मा ने बताया कि इस बार नवरात्र में एक दिन की वृद्धि होना विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है। इसके अंतर्गत तृतीया तिथि 5 और 6 अक्टूबर को रहेगी, जो नवरात्र का समापन 12 अक्टूबर को करेगी। इस वजह से दशहरा और नवरात्र का समापन एक ही दिन होगा।
नवरात्र की पूजा के विशेष दिन
इस बार नवरात्र में मां दुर्गा पालकी में विराजमान होकर आएंगी। नवरात्र का उत्थान दशहरे के अगले दिन होगा। शक्ति की साधना का यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगा। तृतीया तिथि 5 अक्टूबर को सुबह 5:31 बजे से शुरू होकर 6 अक्टूबर को सुबह 7:50 बजे तक रहेगी।
पूजा की तिथियाँ:
- 5-6 अक्टूबर: तृतीया तिथि का पूजन
- 10 अक्टूबर: सरस्वती पूजा
- 11 अक्टूबर: महादुर्गाष्टमी पूजा
- 12 अक्टूबर: नवमी का पूजन और दशहरा
यह विशेष तिथि दो दिनों के सूर्योदय को स्पर्श करेगी, इसलिए दोनों ही दिन तृतीया तिथि का पूजन किया जाएगा।
शुभ योग का महत्व
पंडित अनिल शर्मा ने बताया कि 5 से 8 अक्टूबर तक सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का संयोग रहेगा। यह योग 12 अक्टूबर को भी विद्यमान रहेगा, जो खरीदारी और पूजा- अनुष्ठान के लिए अत्यंत शुभ फलदायी होगा। नवरात्र पर 3 अक्टूबर को घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:57 बजे से लेकर दोपहर 12:45 बजे तक रहेगा।
इस वर्ष के नवरात्र और दशहरे का अद्वितीय संयोग सभी भक्तों के लिए विशेष अवसर है। इस पर्व को मनाने के लिए अपनी तैयारी को अंतिम रूप दें और इन विशेष तिथियों पर पूजा-अर्चना करने का अवसर न चूकें।
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