मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू इन दिनों भारत दौरे पर हैं। इससे पहले भी मुइज्जू ने COP28 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और वह प्रधानमंत्री मोदी के लगातार तीसरे शपथ ग्रहण समारोह में भी विदेशी मेहमानों के साथ शामिल हुए थे।
भारत-मालदीव संबंधों में नई दिशा
राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत को मालदीव का “अहम साझेदार” करार दिया है और यह भरोसा दिलाया है कि उनकी सरकार कभी भी भारत की सुरक्षा को खतरे में नहीं डालेगी। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान चीन के साथ संबंधों पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने साफ कहा कि मालदीव अपने निर्णयों से भारत के रक्षा हितों को प्रभावित नहीं होने देगा।
भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता
चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू की सरकार बनने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में कुछ तल्खी देखी गई थी, लेकिन अब राष्ट्रपति मुइज्जू ने स्पष्ट किया है कि मालदीव अपने पुराने रिश्तों को प्राथमिकता देता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मालदीव का भारत के साथ संबंध “साझा सम्मान और साझा हितों” पर आधारित है।
क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा पर मुइज्जू की प्रतिबद्धता
मुइज्जू ने अपने बयान में कहा, “हम विभिन्न क्षेत्रों में अन्य देशों के साथ भी सहयोग बढ़ा रहे हैं, लेकिन इस बात का पूरा ध्यान रखेंगे कि हमारे किसी भी कदम से क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता प्रभावित न हो।” यह बयान भारत के साथ रिश्तों को मजबूत बनाए रखने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, खासकर जब भारत की सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार की चिंता जताई जा रही हो।
पीएम मोदी से मुलाकात और आगे की रणनीति
रविवार को भारत पहुंचने के बाद सोमवार को मुइज्जू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात से दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों पर चर्चा होने की उम्मीद है। भारत और मालदीव के रिश्तों में इस मुलाकात के बाद और मजबूती आने की संभावना है, खासकर मुइज्जू के सकारात्मक बयान के बाद।
संबंधों में तालमेल बनाए रखने की जरूरत
हालांकि, मुइज्जू की सरकार के कुछ मंत्रियों द्वारा पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा पर की गई विवादित टिप्पणियों ने रिश्तों को थोड़ा असहज बनाया था, लेकिन मुइज्जू ने अपने हालिया बयानों से यह साफ कर दिया है कि उनका इरादा भारत के साथ रिश्तों को और गहरा करने का है।
मालदीव के राष्ट्रपति का यह दौरा दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। जहां एक तरफ मालदीव ने अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत के महत्व को स्वीकारा है, वहीं भारत के लिए भी यह मौका है कि वह मालदीव के साथ अपने संबंधों को और प्रगाढ़ कर सके।
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