सिद्दीकी पर लगे गंभीर आरोप
#MeToo आंदोलन के तहत मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक बार फिर से विवाद उत्पन्न हो गया है। एक अभिनेत्री द्वारा अभिनेता सिद्दीकी पर बलात्कार का आरोप लगाने के बाद केरल पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज की है। अभिनेत्री ने दावा किया है कि सिद्दीकी ने एक फिल्म प्रोजेक्ट पर चर्चा के दौरान उनका बार-बार यौन उत्पीड़न किया।
जमानत के लिए प्रयास विफल
हाल ही में, मलयालम अभिनेता सिद्दीकी ने केरल हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी, जिसे 24 सितंबर को खारिज कर दिया गया। जस्टिस सी. एस. डायस ने स्पष्ट किया कि आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस फैसले के बाद, अभिनेता केरल पुलिस से बचने के लिए लापता हो गए हैं, और उनके ठिकाने का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है। पुलिस ने उनके दो घरों पर छापे मारे, लेकिन सिद्दीकी वहां नहीं मिले।
सिद्दीकी की अंतिम उपस्थिति
सिद्दीकी को आखिरी बार तीन दिन पहले देखा गया था, जब वे दिग्गज अभिनेत्री कवियूर पोन्नम्मा के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। बताया जा रहा है कि वे उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की योजना बना रहे हैं। इस मामले में उनके खिलाफ देशभर के सभी एग्जिट प्वाइंट और हवाई अड्डों पर लुकआउट नोटिस जारी किया गया है।
कानूनी कार्रवाई
अभिनेता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। सिद्दीकी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि शिकायतकर्ता अभिनेत्री ने उनके खिलाफ 2019 से झूठे आरोपों का अभियान चलाया है। दूसरी ओर, पीड़िता ने कहा है कि अभिनेता ने 2016 से लगातार उनके साथ यौन उत्पीड़न किया है।
हेमा समिति की रिपोर्ट और उसके प्रभाव
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न के मामले में हाल ही में जस्टिस के. हेमा समिति की रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में कई प्रसिद्ध निर्देशकों और अभिनेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का उल्लेख है। केरल सरकार ने 2017 में एक अभिनेत्री पर हमले के मामले की जांच के लिए इस समिति का गठन किया था।
विशेष जांच दल का गठन
आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, राज्य सरकार ने 25 अगस्त को इन मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। कई अभिनेताओं जैसे मुकेश, रंजीत और राजू को अदालत से राहत मिल चुकी है, लेकिन सिद्दीकी पहले अभिनेता हैं, जिनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज की गई है।
निष्कर्ष
मलयालम फिल्म उद्योग में चल रहे इस संकट ने एक बार फिर से #MeToo आंदोलन की प्रासंगिकता को उजागर किया है। जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाना आवश्यक है। क्या आपको लगता है कि इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी? अपने विचार साझा करें!
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