आजकल के आइटम सांग और गानों का बच्चों के मानसिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। माता-पिता को शायद यह महसूस न हो, लेकिन टीवी और सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले इन गानों का उनके बच्चों के दिमाग पर बुरा असर हो सकता है। बच्चे अक्सर बिना सोचे-समझे इन गानों की नकल करने लगते हैं, जिससे उनके नैतिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आइए, जानते हैं कैसे ये गाने बच्चों को उम्र से पहले बड़ा बना रहे हैं और इसका समाधान क्या हो सकता है।
बच्चों पर गानों का बढ़ता प्रभाव
आज के डिजिटल युग में बच्चे टीवी, यूट्यूब और सोशल मीडिया पर आसानी से आइटम सांग और विवादास्पद कंटेंट तक पहुंच बना लेते हैं। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के व्यवहार में तेजी से बदलाव आ रहे हैं, जिससे वे वक्त से पहले बड़े होने की ओर बढ़ रहे हैं।
मुंबई की बाल मनोवैज्ञानिक और पेरेंटिंग काउंसलर रिद्धि दोशी पटेल ने एक उदाहरण साझा किया, “मेरे पास एक 7 साल की बच्ची आई थी, जिसने कुछ डांस रियलिटी शो में ऑडिशन दिया था। वह अपने शरीर को वैसा बनाने की कोशिश कर रही थी, जैसा उसने गानों में देखा था। उसने अपने सीने पर कागज की गेंदें रखनी शुरू कर दीं ताकि वह बड़ी दिख सके, जो इस उम्र के बच्चों के लिए स्वाभाविक नहीं है।”
गानों से बच्चों के मानसिक विकास पर असर
माता-पिता अक्सर बच्चों को ऐसे गानों पर डांस करने देते हैं, जिनकी सामग्री उनकी उम्र के लिए उपयुक्त नहीं होती। यह सोचकर कि यह केवल मनोरंजन है, वे अनजाने में बच्चों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इस तरह के गानों में दिखाई जाने वाली बातों को बच्चे गंभीरता से लेना शुरू कर सकते हैं और उनकी नकल करना शुरू कर देते हैं, जो उनके मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
डॉ. रिद्धि दोशी पटेल ने चेतावनी दी, “कुछ गाने हिंसा, ड्रग्स, सेक्स जैसी चीज़ों को महिमामंडित करते हैं, जो बच्चों के लिए बिलकुल भी सही नहीं हैं। बच्चे इन गानों के शब्दों के अर्थ पूछते हैं, और जब उन्हें सही जानकारी नहीं मिलती, तो वे दूसरों से पूछते हैं, जिससे उन्हें गलत जानकारी मिल सकती है।”
बाल मनोवैज्ञानिक रीना चोपड़ा के अनुसार, “गलत संगीत से बच्चों का नैतिक विकास भी प्रभावित होता है। वे जल्दी से प्रभावित होते हैं और ऐसी हरकतें करते हैं, जिनसे वे भावनात्मक रूप से निपटने के लिए तैयार नहीं होते। इसका उनके मानसिक संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।”
माता-पिता की भूमिका और सुझाव
बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए माता-पिता का मार्गदर्शन बेहद जरूरी है। उन्हें अपने बच्चों को स्वस्थ मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराना चाहिए और इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वे किस प्रकार के कंटेंट के संपर्क में आ रहे हैं। यहां कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:
- संगीत और वीडियो पर निगरानी रखें: बच्चों को कौन से गाने सुनने चाहिए और कौन से नहीं, यह माता-पिता की जिम्मेदारी है। सही गानों और सामग्री का चयन करना बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है।
- विकल्प दें: आप बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार रचनात्मक और प्रेरणादायक गानों की ओर प्रोत्साहित कर सकते हैं।
- सही संवाद करें: अगर बच्चा किसी गाने के बारे में सवाल करता है, तो उसे सही और स्पष्ट जानकारी दें ताकि वह गलतफहमी का शिकार न हो।
- मीडिया का समय सीमित करें: बच्चों के टीवी और इंटरनेट पर बिताए समय को सीमित करें और उन्हें बाहरी गतिविधियों में शामिल करने के लिए प्रेरित करें।
निष्कर्ष
आइटम सांग और अन्य गानों का बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह जरूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों के मनोरंजन को लेकर सतर्क रहें और सही मार्गदर्शन प्रदान करें। बच्चों के मानसिक और नैतिक विकास के लिए स्वस्थ और सही कंटेंट का चयन ही सबसे बेहतर उपाय है।
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