इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच चल रही जंग में सीजफायर के प्रस्ताव को लेकर बड़ा विवाद उभर कर सामने आया है। जहां अमेरिका और उसके सहयोगियों ने 21 दिन के संघर्ष विराम की अपील की, वहीं इजरायल ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ कर दिया कि उनकी सेना हिजबुल्लाह के खिलाफ युद्ध को जारी रखेगी। इस लेख में जानिए कि इजरायल ने यह प्रस्ताव क्यों खारिज किया और मौजूदा हालात क्या हैं।
सीजफायर प्रस्ताव का मुख्य बिंदु
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने 21 दिन के लिए लेबनान में युद्ध रोकने का आह्वान किया था। समाचार एजेंसी AFP की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्ताव तब आया जब इजरायल के सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हर्ज़ी हलेवी ने अपनी सेना को हिजबुल्लाह के खिलाफ संभावित जमीनी हमले के लिए तैयार रहने का आदेश दिया था। अमेरिका ने जोर देकर कहा कि यह प्रस्ताव इजरायल के साथ चर्चा करके तैयार किया गया था, लेकिन इजरायल ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
इजरायल का विरोध क्यों?
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 26 सितंबर 2024 को इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने इसके बजाय सेना को हिजबुल्लाह के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ने का आदेश दिया। इसका मुख्य कारण है कि इजरायल इस समय हिजबुल्लाह को एक बड़ी चुनौती के रूप में देखता है और संघर्ष विराम से उसे नुकसान हो सकता है। इजरायल की योजना हिजबुल्लाह की क्षमताओं को कमजोर करने की है, और यह संघर्ष विराम उसे कमजोर कर सकता है।
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस ने इस पर जोर देकर कहा कि सीजफायर का प्रस्ताव इजरायल के साथ समन्वित था। प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने मीडिया से कहा कि इजरायल के साथ प्रस्ताव पर पहले से चर्चा की गई थी, लेकिन इसके बावजूद इजरायल ने इसे खारिज कर दिया।
क्या हुआ था नेतन्याहू के रुख में बदलाव?
इजरायल के वामपंथी अखबार हारेत्ज़ के अनुसार, नेतन्याहू और उनके मंत्री रॉन डर्मर ने शुरुआत में सीजफायर के प्रस्ताव पर सहमति जताई थी। लेकिन जब नेतन्याहू ने न्यूयॉर्क की यात्रा के दौरान अपने कुछ कैबिनेट मंत्रियों से विरोध झेला, तो उन्होंने अपना रुख बदल दिया। तीन प्रमुख मंत्रियों ने खुलकर इस प्रस्ताव का विरोध किया, जिसके कारण नेतन्याहू ने इसे खारिज कर दिया।
हिजबुल्लाह कमांडर की मौत
इन घटनाओं के बीच, इजरायल ने हिजबुल्लाह के एयर कमांडर मुहम्मद हुसैन सरूर को मार गिराने का दावा किया है। इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) ने जानकारी दी कि बेरूत में एक सटीक हवाई हमले में सरूर को मार गिराया गया। सरूर को इजरायल के खिलाफ कई हवाई हमलों की योजना बनाने का जिम्मेदार ठहराया गया था।
आगे की रणनीति
इजरायल का रुख स्पष्ट है कि वह हिजबुल्लाह को कमजोर करने तक संघर्ष को जारी रखेगा। प्रधानमंत्री नेतन्याहू के बयान से यह साफ है कि इस समय इजरायल किसी भी सीजफायर प्रस्ताव को स्वीकार करने के मूड में नहीं है, क्योंकि इससे हिजबुल्लाह को फिर से संगठित होने का मौका मिल सकता है।
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष का यह दौर बहुत ही गंभीर मोड़ पर है। अमेरिका और उसके सहयोगियों के सीजफायर प्रस्ताव को खारिज करने के पीछे इजरायल की रणनीतिक सोच साफ नजर आती है कि वह अपने सुरक्षा हितों के लिए किसी भी समझौते को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या वैश्विक कूटनीति इस संघर्ष को हल करने में कामयाब होती है या यह और बढ़ता है।
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