दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण ने एक बार फिर चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। बुधवार को यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 349 तक पहुंच गया, जिसे ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रखा गया है। दिवाली से पहले ही दिल्ली का वातावरण एक गैस चेंबर जैसा बनता जा रहा है, जिसमें धूल के कण और जहरीली गैसों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। स्थानीय निवासियों ने बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए सरकार से त्वरित उपायों की मांग की है।
दिल्ली में सबसे खराब प्रदूषण दर्ज
मंगलवार को दिल्ली का AQI, सोनीपत के बाद देश में सबसे ज्यादा था। देश के 252 केंद्रों में सोनीपत, दिल्ली, जींद और श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता का स्तर बेहद खराब पाया गया। समस्या को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार ने पानी के छिड़काव और सड़कों पर वाहनों की संख्या कम करने के लिए कदम उठाए हैं। इसके साथ ही, दिल्ली परिवहन निगम (DTC) और मेट्रो सेवा की फ्रीक्वेंसी बढ़ाई गई है, ताकि निजी वाहनों का उपयोग कम किया जा सके।
खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो गया है। आनंद विहार में एक्यूआई 414 और जहांगीरपुरी में 384 तक पहुंच गया। ऐसे हालात में डॉक्टरों ने लोगों को सुबह और शाम के समय घर से बाहर जाने से बचने की सलाह दी है, खासकर अस्थमा और दिल के रोगियों को।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त निर्देश
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सभी आवश्यक उपायों को तेज करने के निर्देश दिए गए। बैठक में ग्रेप-2 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) को लागू किया गया और हॉटस्पॉट इलाकों पर सघन निगरानी के निर्देश दिए गए। साथ ही, डस्ट सप्रेसेंट मिलाकर इन क्षेत्रों में पानी का छिड़काव शुरू कर दिया गया है।
निर्माण स्थलों पर विशेष ध्यान
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निर्माण स्थलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सड़कों की सफाई के लिए एमसीडी के 6200 सफाईकर्मी तैनात किए गए हैं और 1800 ट्रैफिक पुलिस कर्मी भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, पीडब्ल्यूडी को मोबाइल एंटी स्मॉग गन की तैनाती करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि निर्माण कार्य स्थलों पर धूल को नियंत्रित किया जा सके।
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दिल्ली के बाहर की बसों पर कड़े कदम
दिल्ली सरकार ने आसपास के राज्यों से अनुरोध किया है कि वे अपनी डीजल बसों की जगह CNG और इलेक्ट्रिक बसों का ही उपयोग करें, जब तक दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सामान्य नहीं हो जाता। इसके साथ ही, सभी सरकारी और निजी संस्थानों को सुरक्षा गार्ड्स के लिए इलेक्ट्रिक हीटर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि सर्दियों में बायोमास जलाने से बचा जा सके।
डॉक्टरों की सलाह: बाहर निकलने से बचें
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के प्रोफेसर डॉ. पुलिन गुप्ता ने बताया कि इस समय प्रदूषण का स्तर इतना खराब हो चुका है कि अस्थमा, दिल के रोगी, और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो मास्क का इस्तेमाल करें और घर लौटने पर आंख और चेहरे को अच्छी तरह से साफ करें।
निष्कर्ष
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण ने एक बार फिर चिंता का माहौल बना दिया है। सरकार ने इस पर काबू पाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन स्थिति में सुधार के लिए सभी नागरिकों का सहयोग भी आवश्यक है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और बाहर निकलने पर सुरक्षा उपायों को अपनाएं। अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो सरकार के उपायों का समर्थन करें और वाहन उपयोग को कम करके प्रदूषण को रोकने में अपना योगदान दें।
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